UNI is Ours

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Friday, September 3, 2010

GBM letter Hindi

महाप्रबंधक


युनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया

9- रफी मार्ग, नई दिल्ली-110001

महोदय,

यूनियन की पिछली कार्यकारिणी का कार्यकाल पूरा होने के बाद नव निर्वाचित कार्यकारिणी ने कार्यभार सम्भाल लिया है और हम परस्पर सुविधा अनुसार तय समय और तारीख पर नई टीम का यथाशीघ्र परिचय आपसे कराना चाहते हैं।



नई टीम ने 27 अगस्त को आयोजित अपनी बैठक में संस्थान की मौजूदा स्थिति का जायजा लिया और इस बात पर गंभीर चिंता प्रकट की कि वेतन के भुगतान में अब पांच महीने तक की देरी हो गई है। कभी 2007-08 में स्थिति यह थी कि वेतन भुगतान में कुछेक दिन की ही देरी हो रही थी लेकिन उसके बाद से स्थिति हर महीने बदतर होती चली गई। ऐसे में संस्थान में गलत प्राथमिकताओं और घटिया राजनीति के चलते वेतन के समय पर भुगतान का मुद्दा हाषिये पर धकेला जाता रहा और कर्मचारियों को फिजूल के विवादों में उलझाकर रखा गया। हम शुरू में ही यह स्पश्ट कर देना चाहते हैं कि वेतन के समय पर भुगतान का मुद्दा हमारे लिए सबसे ऊपर है और हम इस मामले में किसी प्रकार की देरी बर्दाष्त नहीं करेंगे। यदि कर्मचारियों ने संगठन के प्रति अपने फर्ज को पूरा करने में कोई कोताही नहीं बरती तो वे भी उम्मीद करते हैं कि प्रबंधन भी वेतन और अन्य भत्तों के समय पर भुगतान करने के अपने संवैधानिक दायित्व को निभाने में विफल नहीं होगा।



प्रबंधन ने पिछले महीने स्टाफ को कम करने के लिए स्वेच्छा से अवकाष लेने की योजना घोशित की। इस योजना में ऐसा कुछ भी नहीं था जो उन कर्मचारियों को आकर्शित कर पाता जो यूएनआई से अवकाष लेकर नया जीवन आरंभ करने के लिए उत्सुक भी थे। नतीजा यह हुआ कि देषभर में यूएनआई कर्मचारियों ने इसे खारिज कर दिया और प्रबंधन को इस योजना के वांछित परिणाम नहीं मिले। जिन तकरीबन पचास कर्मचारियों ने वीआरएस का रास्ता चुना है उन्हें योजना के तहत 31 अगस्त, 2010 को बकाया का कम से कम पचास प्रतिषत भुगतान होना है। हम यूएनआई के चेयरमैन द्वारा 7 जुलाई, 2010 को यूनियन के प्रतिनिधियों को दिया गया आष्वासन याद दिलाना चाहते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि जो कर्मंचारी वीआरएस का विकल्प नहीं चुनेंगे उनके बकाया के भुगतान के मामले में भी सकारात्मक सकारात्मक रुख अपनाया जाएगा।



यूनियन की मांग है कि संस्थान के मौजूदा कर्मचारियों के बकाया का भुगतान भी वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों के भुगतान के साथ सुनिष्चित किया जाए। इसके अलावा यूनियन यह भी मांग कर रही है कि एक महीने के अतिरिक्त वेतन का भुगतान भी तुरंत किया जाए ताकि पांच महीने की देरी को नियंत्रित किया जा सके और कर्मचारियों को मुसीबतों से उबारा जा सके।



हमें पूरा विष्वास है कि यूएनआई को संकट से निकाला जा सकता है लेकिन इसके लिए प्रबंधन को इधर-उधर के भटकाव के बजाए स्थिति ठीक करने के लिए गंभीर और सघन प्रयास करने होंगे। यूएनआई आज ऐसे दोराहे पर खड़ी है जहां से उसे या तो रसातल में जाने के लिए छोड़ा जा सकता है या संगठन को तरक्की के मार्ग पर ले जाया जा सकता है। यूएनआई को प्रगति की ओर ले जाने के काम में कर्मचारी और यूनियन पूरा सहयोग करने को तैयार है। हमें इस ऐतिहासिक अवसर को लपकना होगा और उस गहरी नींद से जागना होगा जो हमारे संगठन के लिए घातक साबित हो रही है।





भवदीय





महासचिव अध्यक्ष

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